“राम मंदिर राष्ट्र मंदिर: एक सांझी विरासत” नामक यह पुस्तक भारतीय समाज के एक महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान केंद्रित करती है। लेखक, प्रो गीता सिंह और मो आरिफ खान भारतीय समाज की विभिन्न विचारधाराओं और परंपराओं को समझने का प्रयास करते हैं। वे राम मंदिर के निर्माण के विषय में बहस करते हैं और इसे राष्ट्रीय दृष्टिकोण से देखते हैं। पुस्तक में ‘राम मंदिर’ के निर्माण के पीछे छिपी रूढ़िवादी और समाजशास्त्रीय पहलुओं को समझाने का प्रयास किया गया है।
इस पुस्तक का प्रकाशन किताबवाले द्वारा किया गया है और इसकी प्रेरणा मा डॉ इंद्रेश कुमार के द्वारा मिली है। डॉ मोहन राव भगवत जी के इस शुभाकांक्षा संदेश के साथ, यह पुस्तक भारतीय समाज में विविधता और सांस्कृतिक विरासत के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चिंतन को प्रोत्साहित करती है। इसमें अनसुनी बातें और विचार हैं जो हमें हमारी समाजिक और सांस्कृतिक धाराओं को समझने के लिए प्रेरित करते हैं।
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प्रो- गीता सिंह वर्तमान में सी-पी-डी-एच-ई-दिल्ली विश्वविद्यालय में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा को सशक्त रूप से विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में समयानुकूल रूप में स्थापित करने हेतु प्रयत्नरत। विभिन्न राष्ट्रीय महत्व की 23 पुस्तकों का लेखन एवं 300 से अधिक उच्च शिक्षक कार्यशालाओं का आयोजन।
भारती वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ महाविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत। विश्व ग्राम के दिल्ली प्रांत के संगठन मंत्री। समाज सेवा एवं लेखन के क्षेत्र में सक्रिय योगदान। निरंतर राष्ट्रीय हित के शोध कार्यो में रत। सामाजिक बुराईयों एवं अज्ञानता को दूर करने के लिए साहस के साथ निरंतर प्रयतनरत ।